ऋषि दयाननà¥à¤¦ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संगृहीत हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित तथा मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ वेद की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚
Author
Manmohan Kumar AryaDate
24-Apr-2016Language
HindiTotal Views
1140Total Comments
0Uploader
UmeshUpload Date
25-Apr-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
ऋषि दयाननà¥à¤¦ का पं. लेखराम रचित जीवन चरित पढ़ते समय à¤à¤• बार हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में यह तथà¥à¤¯ आया कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ मथà¥à¤°à¤¾ में गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ से सनॠ1863 में दीकà¥à¤·à¤¾ लेकर आगरा आकर पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर रहे थे और वहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मूल वेदों की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ पड़ी थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने निकटसà¥à¤¥ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लाल व पं. चेतो राम जी से वेद उपलबà¥à¤§ कराने को कहा था। यह दोनों पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर कहीं से वेद के कà¥à¤› पतà¥à¤°à¥‡ लाये जिसे ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने देखा और कहा कि यह थोड़े हैं। इनसे काम नहीं चलेगा। हम कहीं जाकर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ले आयेंगे। उसके बाद वह वेदों की खोज व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठआगरा से 58 किमी. दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ धौलपà¥à¤° गये थे। à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि उनको वहां अधूरे अथवा पूरà¥à¤£ वेद पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गये थे। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से कà¥à¤› तथà¥à¤¯ सामने आने पर हमारे अनà¥à¤¦à¤° यह जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ हà¥à¤ˆ कि ऋषि को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ वेद कितने रहे होंगे व कà¥à¤¯à¤¾ वह छपे हà¥à¤ थे या कि हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित। यह वेद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚, कब, किससे व कहां पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ थे? हमें इसका उतà¥à¤¤à¤° नहीं मिल रहा था। हमने यह à¤à¥€ विचार किया था कि 31 अकà¥à¤¤à¥‚बर सनॠ1883 को ऋषि की मृतà¥à¤¯à¥ होने पर उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संगà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की अवशà¥à¤¯ कोई सूची बनी होगी। यदि वह कहीं उपलबà¥à¤§ हो जाये तो उससे कà¥à¤› सहायता मिल सकती है। इसके लिठहमने परोपकारिणी सà¤à¤¾ के पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ में फोन पर à¤à¥€ जानकारी ली थी और इमेल पर जानकारी मांगी परनà¥à¤¤à¥ ऋषि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संगà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सूची वा जानकारी उपलबà¥à¤§ न हो सकी। कà¥à¤› दिन पहले हम पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक कृत ‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का इतिहास’ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का अवलोकन कर रहे थे तो अनायास पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी के इस विषय में लिखे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ गई। वहां इस सूची की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ दो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– है जिसमें से à¤à¤• वेदवाणी का मारà¥à¤š, 1982 का अंक है जिसमें पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मीमांसक जी ने इस सूची को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया था। हमने अपने विगत 45 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में अपनी अलà¥à¤ª सामथà¥à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° आरà¥à¤¯à¤¸à¤¾à¤®à¤¾à¤œà¤¿à¤• जीवन में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के साहितà¥à¤¯ को संगà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¤ कर अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है। हमें लगा कि वेदवाणी का यह अंक हमारे पास होना चाहिये। ढूंढने पर हमें यह पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गया। इससे जो पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆ वह अवरà¥à¤£à¤¨à¥€à¤¯ थी।
वेदवाणी का मारà¥à¤š 1982 ई. अंक ‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से संबदà¥à¤§ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ अà¤à¤¿à¤²à¥‡à¤–’ विषयक विशेषांक का à¤à¤¾à¤— 2 है। इस विशेषाक की विषय सूची के कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क 4 पर ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संगृहीत हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित तथा मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ वेदवाणी के पृषà¥à¤ संखà¥à¤¯à¤¾ 94 से आरमà¥à¤ होकर 104 तक 11 पृषà¥à¤ ों में है। पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° लेख का शीरà¥à¤·à¤• है ‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संगहीत हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित तथा मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• जो उनके निधन के समय विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थीं।‘ यह शीरà¥à¤·à¤• देकर लेख में बताया गया है कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ के निरà¥à¤µà¤¾à¤£ के समय उनके पास कौन-कौन सी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ संगà¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ थी और वह कहां-कहां रकà¥à¤–ी हà¥à¤ˆ थीं। इस विषयक à¤à¤• लेख शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ परोपकारिणी सà¤à¤¾ के तातà¥à¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤• उपमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ पं. मोहनलाल विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ ने तैयार कराकर सनॠ1885 के सà¤à¤¾ के अधिवेशन में आवेदन-पतà¥à¤° के रूप में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ किया था। यही लेख व विवरण सं. 1942 सनॠ1885 में वैदिक यनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ से छपकर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ à¤à¥€ हà¥à¤† था। उसकी पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक ने सनॠ1944 में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ की थी। उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मीमांसक जी ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ छोड़ी गई पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की सूची वेदवाणी में दी है जिसे नीचे पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं।
आवेदन-पतà¥à¤° के रूप में मà¥à¤–à¥à¤¯ पृषà¥à¤ पर निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित लेख है--
वारà¥à¤·à¤¿à¤• आवेदन
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ मोहनलाल विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² पाणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ उपमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ परोपकारिणी सà¤à¤¾ निवेदित
शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤¦à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤•à¥ƒà¤¤ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¤ªà¤¤à¥à¤° संबनà¥à¤§à¤¿à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ परोपकारिणी सà¤à¤¾ कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ उदयपà¥à¤°
ता. 6 दिसमà¥à¤¬à¤° सनॠ1885 ई.
इस आवेदन पतà¥à¤° के पृषà¥à¤ 2 पर निमà¥à¤¨ लेख छपा है--
(1) पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की à¤à¤• फैरिसà¥à¤¤ इसके साथ पेश करता हूं कि जिस पर (क) चिनà¥à¤¹ है, यह सब पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ मेरे (पं. मोहनलाल पाणà¥à¤¡à¤¯à¤¾) पास उदयपà¥à¤° में धरी हैं। और इसी के साथ दूसरी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की à¤à¤• फैरिसà¥à¤¤ (ख) चिनà¥à¤¹ की जो मà¥à¤‚शी समरà¥à¤¥à¤¦à¤¾à¤¨ जी ने मेरे पास à¤à¥‡à¤œà¥€ है, पेश करता हूं, उसमें लिखी सब पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ वैदिक यनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में है।
(क) पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की फैरिसà¥à¤¤ जो उदयपà¥à¤° में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं। (यहां हम इस सूची से केवल वेद की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ही दे रहे हैं।)
ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ विषयक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¨à¤¿
1- ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ संहिता मूल जिलà¥à¤¦ 1 छपी हà¥à¤ˆ 1
2- ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ संहिता पदपाठजिलà¥à¤¦ 1 छपी हà¥à¤ˆ 1
3- ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ सà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ जिलà¥à¤¦ 2 छपी à¤à¤¾à¤— 3 और 4 था 2
4- वेदारà¥à¤¥à¤¯à¤¤à¥à¤¨ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 छपी हà¥à¤ˆ अंक 1 1
(अगली सूची मे वेदारà¥à¤¥à¤¯à¤¤à¥à¤¨ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की संखà¥à¤¯à¤¾ 70 लिखी है)
यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ विषयक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¨à¤¿
5- संहिता मूल 1 छपी 1
6- यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ संहिता पदपाठपà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 लिखी 1
7- यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ संहिता सà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 छपी 1
8- यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ अनà¥à¤•à¥à¤°à¤®à¤£à¤¿à¤•à¤¾ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 लिखी 1
सामवेद विषयक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¨à¤¿
9- सामवेद संहिता मूल पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 छपी 1
10- सामवेद संहिता मूल पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखी हà¥à¤ˆ 1
11- सामवेद संहिता मूल पदपाठलिखित 1
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ विषयक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚
12- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ संहिता मूल पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 2 छपी 2
13- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ संहिता मूल पदपाठआठवें काणà¥à¤¡ तक लिखित 1
14- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ की अनà¥à¤•à¥à¤°à¤®à¤£à¤¿à¤•à¤¾ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 लिखित 1
15- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ संहिता मूल पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ लिखित समà¥à¤µà¤¤à¥ 1941 की 1
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मोहनलाल जी विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² जी पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ को à¤à¥‡à¤‚ट करी हà¥à¤ˆà¥¤
16- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ संहिता मूल पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ 13 काणà¥à¤¡ से 17 काणà¥à¤¡ 1
तक समà¥à¤µà¤¤à¥ 1822 की लिखित
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मोहनलाल जी विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² जी पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ को à¤à¥‡à¤‚ट करी हà¥à¤ˆà¥¤
17- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ संहिता मूल पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 1 पà¥à¤°à¤¥à¤® काणà¥à¤¡ से 6 काणà¥à¤¡ के 1
27 सूकà¥à¤¤ के पहिले मनà¥à¤¤à¥à¤° तक
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मोहनलाल जी विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² जी पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ को à¤à¥‡à¤‚ट करी हà¥à¤ˆà¥¤
18- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ संहिता मूल 11 वें काणà¥à¤¡ से 19 तक पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ 1
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मोहनलाल जी विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² जी पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ को à¤à¥‡à¤‚ट करी हà¥à¤ˆà¥¤
19- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ संहिता मूल पदपाठ1 दूसरे काणà¥à¤¡ के पहिले सूकà¥à¤¤ 1
के चौथे मनà¥à¤¤à¥à¤° से चैथे काणà¥à¤¡ के पनà¥à¤¦à¤°à¤¹à¤µà¥‡à¤‚ सूकà¥à¤¤ के दूसरे मनà¥à¤¤à¥à¤°
तक पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मोहनलाल जी विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² जी पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ को à¤à¥‡à¤‚ट करी हà¥à¤ˆà¥¤
कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क 13 से 19 तक के विवरण पर पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी की विशेष टिपà¥à¤ªà¤£à¥€à¤ƒ राथ और हà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¤¨à¥€ ने शौनकीय अथरà¥à¤µà¤¸à¤‚हिता का समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ सनॠ1856 (सं. 1913) में किया था। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के पाठइसी संसà¥à¤•à¤°à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दिये हैं। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ करने के लिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सनॠ1882 के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤§ में बमà¥à¤¬à¤ˆ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ सेवकलाल कृषà¥à¤£à¤¦à¤¾à¤¸ को अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ की टीका, ऋषि, छनà¥à¤¦ और मूल गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ढूंढने के लिये लिखा था। इसका निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ सेवकलाल कृषà¥à¤£à¤¦à¤¾à¤¸ के 20 जनवरी सनॠ1883 के पतà¥à¤° में मिलता है। (देखो शà¥à¤°à¥€ महातà¥à¤®à¤¾ मà¥à¤‚शीराम समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ पतà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° पृषà¥à¤ 269, 270)। इसके लिये सेवकलाल कृषà¥à¤£à¤¦à¤¾à¤¸ ने पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ à¤à¥€ किया था। अतः समà¥à¤à¤µ है, अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के उकà¥à¤¤ हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सेवकलाल कृषà¥à¤£ के सहयोग से शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किये होंगे। जैनियों के à¤à¥€ बहà¥à¤¤ से हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¤¿ परोपकारिणी सà¤à¤¾ के संगà¥à¤°à¤¹ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ नहीं हैं। आवेदन पतà¥à¤° में इन हसà¥à¤¤à¤²à¥‡à¤–ों के विषय में, ‘‘पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ मोहनलाल विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² जी पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ को à¤à¥‡à¤‚ट करी हà¥à¤ˆ” लेख कà¥à¤› सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करता है कि कहीं पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ जी ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दबाने के लिठही ये शबà¥à¤¦ नहीं लिख दिà¤? सेवकलाल कृषà¥à¤£à¤¦à¤¾à¤¸ ने राथ हà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¤¨à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ सनॠ1884 में लीथो पà¥à¤°à¥‡à¤¸ में छपवाई थी।
सूची (क) में 24 वेषà¥à¤Ÿà¤¨ हैं। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क 153 तक है। उसके बाद 13 पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ व सामगà¥à¤°à¥€ पर कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क नहीं दिये गये हैं। यदि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ करें तो सूची (क) में पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚/गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ आदि का कà¥à¤² कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤• 1666 हो जाता है। सूची (क) के अनà¥à¤¤ में पं. मोहनलाल विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ उपमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° हैं।
अब फैरिसà¥à¤¤/सूची (ख) से वेद की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– करते हैं।
3- सामवेद संहिता 37 जिलà¥à¤¦ (=खणà¥à¤¡) में 1 संखà¥à¤¯à¤¾
37- ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ संहिता अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में à¤à¤¾à¤— 4 1 संखà¥à¤¯à¤¾
38- ,, (यहां पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ करते समय नाम लिखना छूट गया है।)
53- वेदारà¥à¤¥à¤¯à¤¤à¥à¤¨ अंक 70 70 संखà¥à¤¯à¤¾
सूची (ख) में गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ वा पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की कà¥à¤² संखà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क 63 तक है और अनà¥à¤¤ में उपमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पं. मोहनलाल विषà¥à¤£à¥à¤²à¤¾à¤² पणà¥à¤¡à¤¯à¤¾ जी के हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° हैं।
यहां यह à¤à¥€ बता दें कि सूची (ख) वेषà¥à¤Ÿà¤¨ 24 पर ‘गोरकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤°à¥€ पतà¥à¤° बिना छांटे बहà¥à¤¤ गड़बड़ संखà¥à¤¯à¤¾ 1’ का वरà¥à¤£à¤¨ है। इस पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करते हà¥à¤ पं. मीमांसक जी ने कहा है कि यदि ये पतà¥à¤°à¥‡ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहते तो इनसे ऋषि दयाननà¥à¤¦ के गोरकà¥à¤·à¤¾ संबनà¥à¤§à¥€ महानॠकारà¥à¤¯ पर अदà¥à¤à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पड़ता। परोपकारिणी सà¤à¤¾ को पà¥ï
ALL COMMENTS (0)